*गोवर्धन पूजन/गौ पूजन*
दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है।इस पर्व को सभी लोग मनाते है। गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती है जैसे नदियों में गंगा। गाय को देवी लक्ष्मी स्वरूप भी कहा गया है। देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि देती है। उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन देती है। और इनसे जो बछड़ा होता है वह खेतों में अनाज उगाता है।इसप्रकार गौ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोवर्धन की पूजा की जाती है। और इसके प्रतीक के रूप में गाय की।
सभी गांवों में आज भी पशुधन जो भी हो गाय,बैल,भैंस आदि के सींग में हल्दी,घी लगाकर तथा रोली से टीका किया जाता है। तथा मिट्टी के दिया में घी लगाकर उसकी पीठ पर गोल चिन्ह बनाते है।
गौ माता की अर्चना,पूजन बारम्बार।
भारत को मिलता सदा,गौ माता का प्यार।।
नीतेन्द्र सिंह परमार "भारत"
छतरपुर मध्यप्रदेश
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