Friday, October 4, 2019

सौरभ नारायण शुक्ला

*पत्थर बनी अहिल्या सोचे*
*जाने कब राघव आयेंगे*

चाहे जिसे कुबेर बना दो
चाहे जिसको पण्डित कर दो
या मुझको पिघला दो पूरा
या फिर मुझको खंडित कर दो
यदि दोष मेरा हो रघुवर
तो फिर मुझको दंडित कर दो
चरण कमल की रज दे करके
मुझको महिमा मण्डित कर दो

*मुझे दूसरा जीवन देने*
*जीवन के वैभव आयेंगे*
*पत्थर बनी अहिल्या सोचे*
*जाने कब राघव आयेंगे*

©सौरभ नारायण शुक्ला

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