Monday, June 17, 2019

हीरा लाल जी "ग़ज़ल"

121 22 121 22

बुरा  जो  सोचो   बुरी  है दुनिया।
भला  जो  सोचो भली है दुनिया।

समझ  न  पाया  जो तौर इसका
उसी को अक्सर खली है दुनिया।

निकल   के  देखो गली, नगर से
कि  सोच  से भी बड़ी है दुनिया।

उतार     चश्मे     अदावतों   के
मुहब्बतों   से   भरी   है  दुनिया।

कहीं ग़लत कुछ हुआ  तो  होगा
यूँ  हीं  न  पीछे  पड़ी  है दुनिया।

सही  ग़लत  की परख रखा कर
बहुत  ही  मीठी  छुरी है दुनिया।

कभी है ख़ुशियों की फुलझड़ी तो
कभी  दुख़ों  की  लड़ी  है दुनिया।

चला  जो  सच की डगर पे *हीरा*
उसी  की  लेती  बली  है दुनिया।

                 हीरालाल

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