Sunday, June 23, 2019

दीप छंद

◆ दीप छंद ◆
शिल्प~ प्रति चरण 10 मात्राएँ ,परन्तु अंतिम पाँच मात्राएँ क्रमशः नगण गुरु लघु(11121),चार चरण समतुकांत।

राम  विनय  हमार।
सुनलो मम पुकार।।
लीजे  अब  उबार।
सोम शरण तिहार।।

~शैलेन्द्र खरे"सोम"

No comments:

Post a Comment

रेडियो प्रेमचंद पर काव्य सम्मेलन का प्रसारण

मुंशी प्रेमचंद मार्गदर्शन केंद्र ट्रस्ट लमही वाराणसी उ.प्र. द्वारा संचालित *रेडियों प्रेमचंद एप* जिसके स्रोता देश ही नही विदेशों तक है। उसी ...