Friday, June 14, 2019

muktak

*मुक्तक*

*मुहब्बत* में सिफ़ारिश कर रहा हूँ।
बजह कुछ भी नहीं पर डर रहा हूँ।।
सफर बस चंद पल का रह गया है।।
मुहब्बत में तुझी पे मर रहा हूँ।।

*__ नीतेन्द्र भारत*

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