Thursday, June 13, 2019

के.आर. कुशवाह जी

🌹गजल🌹

बहर   122 × 4

किया था जो वादा निभाना पड़ेगा।
हमें   हिंद   अपना   बचाना  पड़ेगा।

लिखा  है  दिलों  पै  तेरा नाम हमने ;
तुझे   धड़कनों   में  बसाना  पड़ेगा।

दरिंदो   की  हैवानियत  बढ़ रही है ;
उन्हें   सूलियों   पर   चढ़ाना पड़ेगा।

यहाँ   भृष्ट   नेता   बढे   जा   रहे हैं ;
उन्हें   कुर्सियों   से   गिराना  पड़ेगा।

करें देश हित के लिए जाँ निछावर  ;
बिगुल   वीरता   का  बजाना पड़ेगा।

न  हिंदू  लड़ेंगे  कभी  मुश्लिमों  से ;
लहू   एक   है   यह   जताना पड़ेगा।

जिये देश हरदम रुके साँस अपनी ;
वतन पर ये तनमन लुटाना पड़ेगा।

सुनो हंस, आहत न करना वतन को;
यहाँ   कर्ज  अपना  चुकाना पड़ेगा।

        के आर कुशवाह "हंस"

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