जय माँ शारदे
ग़ज़ल
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तुम्हारे लिए आज क्या कुछ नहीं है।
मगर ज़िन्दगी में रखा कुछ नहीं है।।
नहीं दोष इसमें तुम्हारा जरा भी।
तुम्हारी नज़र में वफ़ा कुछ नहीं है।।
भले आपने दिल हमारा दुखाया।
हमें आपसे पर गिला कुछ नहीं है।।
हँसी आ रही है तुम्हारी समझ पर।
जो कहते कि जग में बुरा कुछ नहीं है।।
यहाँ से गया है जो नाराज़ होकर।
उसे तो किसी ने कहा कुछ नहीं है।।
बनाते रहे हो तुम्हीं भूत भय का।
हमें तो वहाँ पर दिखा कुछ नहीं है।।
चतुर लोग कहते यही एक जुमला।
हमारा तुम्हारा बँटा कुछ नहीं है।।
भले मानते हो हमें आप दोषी।
सुनो जी हमारी खता कुछ नहीं है।।
चले हो जहाँ आप उम्मीद लेकर।
वहाँ पर जरा भी बचा कुछ नहीं है।।
राम लखन शर्मा ग्वालियर
7987132392
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