*।।हाइकु कृति के नियम ।।*
रचना में...
1. दो वाक्य, दो स्पष्ट बिम्ब हो।
2. किसी एक बिम्ब में प्राकृतिक का होना अनिवार्य है।
3. दो वाक्य, 5 में विषय और 12 में बिम्ब वर्णन हो सकता है।
4. दो वाक्य, विरोधाभास भी हो सकते हैं।
5. स्पष्ट तुलनात्मक न हो।
6. कल्पना व मानवीयकरण न हो ।
7. वर्तमान काल पर हो।
8. एक पल की अनुकृति, फोटोक्लिक हो।
9. कटमार्क (दो वाक्यों का विभाजन) चिन्ह हो।
10. दो वाक्य ऐसे रचे जाएँ जो एक दूसरे के पूरक न होकर कारण और फल न बने।
11. रचना में बिम्ब या शब्दों का दोहराव न हो।
12. तुकबंदी से बचें।
13. 5 वाले हिस्से में क्रिया/क्रियापद और विशेषण न हो।
14. 12 वाले हिस्से में एक वाक्य हो।
15. बिना बिम्ब के केवल वर्तनी न हो।
16. पंक्तियाँ स्वतंत्र न हों।
17. विधा प्रकृति मूलक है, किसी धर्म या व्यक्ति विशेष न हो।
*हाइकु सृजन की सरल विधि*
1. एक पूर्ण वाक्य, आप जिस दृश्य को देखते हैं या कल्पना करते हैं अथवा महसूस करते हैं। उसे 5 या 12 वाले भाग में से किसी एक में रखें।
2. द्वितीय वाक्य, प्रथम वाक्य से सम्बंधित और उस दृश्य के करीब कोई दृश्य या विचार को स्पष्ट शब्दों में रखें जो संवेदनशील बन जाए। प्रथम 5 वाला भाग निर्मित हुआ हो तो यह वाक्य 12 वाले भाग में सृजन हो।
3. उपरोक्त दो वाक्य पूर्ण होने के पश्चात्, दोनों वाक्यों को गौर से पढ़िये। ऐसा न हो कि वर्ण या बिम्ब के दोहराव हो रहे हों या एक में कारण बनकर दूसरे में फल बन जाएँ।
4. विधि 3 में सफलता मिल गयी हो तो उक्त दोनों वाक्यों के बीच किरे (कटमार्क) लगाकर आपस में जोड़ दें।
5. विधि 4 पूर्ण होने के पश्चात् आपके दोनों वाक्यों को 5-7-5 की तीन पंक्तियों में विभक्त कर लें और ध्यान दें कि आपके तीनों पंक्तियाँ कहीं स्वतंत्र तो नही हो रहे। यदि स्वतंत्र हो रहे हों तो सुधार कर लेवें।
6. उपरोक्त प्रक्रिया पूर्ण होने पर पटल के रीत को ध्यान में रखते हुए रचना का अवलोकन करें। यदि आपकी रचना आपको पूर्णतया संतुष्ट करे तो बिल्कुल वह एक हाइकु है।
उदा. -
विधि 1 के तहत्...
एक वाक्य जिसे देखा गया है उसे 12 वर्ण के हिस्से में इस तरह रखना है...
पत्तों से ढँका अंगाकर तवे में
अब हम विधि 2 के तहत् उपरोक्त 12 वाला भाग से सम्बंधित कुछ ऐसे वाक्य रखें कि किसी इंद्रिय को छू जाए और वह 5 वर्ण में हो। हम बनती रोटी के लिए जो जरुरी सा है उसे ढूँढ़े तो हमें मिलेगा मिर्च, धनिया, लहसून आदि पेस्ट बनाने के लिए। इसलिए हम रचना को सुंदर बनाने के लिए *धनिया के सुगंध* को लेते हैं। इस प्रकार...
धन्नी सुगंध
अब विधि 3 के तहत् आंकलन करने के लिए दोनों वाक्यों को एक साथ रख लेते हैं...
पत्तों से ढँका अंगाकर तवे में
धन्नी सुगंध
न कोई बिम्ब और न ही कोई वर्ण का दोहराव है। न एक में कारण है न दूसरे में फल। अर्थात् विधि 3 पर खरी है हमारी कृति।
*हो सकता है आपके विचार में पहले 5 वाला हिस्सा आ जाए, तो इसके विपरीत भी बन सकती है कृति इस तरह...*
*धन्नी सुगंध*
*पत्तों से ढँका अंगाकर तवे में*
आगे...
विधि 4 के अनुसार दोनों वाक्यों के मध्य कटमार्क (~) किरे लगा देते हैं...
पत्तों से ढँका अंगाकर तवे में
~
धन्नी सुगंध
विधि 5 के अनुसार 5-7-5 के वर्ण पर विभक्त करते हैं...
पत्तों से ढँका
अंगाकर तवे में --
धन्नी सुगंध।
विधि 5 के अनुसार पंक्तियाँ स्वतंत्र न हो। (चूँकि 12-5 के दो वाक्यों के हिस्से होते हैं ) जिस पर हमारी कृति खरी है।
पद्धति 6 के अनुसार हम पटल के नियमों में हमारी कृति ढल पायी या नही, आंकलन करने पर पाते हैं कि सभी नियम में यह कृति खरी है। अतः यह एक हाइकु है।
विशेष :- ये जरुरी नहीं की कोई दृश्य के साथ अनुभव ही हो कृति में। हो सकता है दो साधारण दृश्य भी हों जो ऐसा दृश्य हो कि उसमें कोई विशेष तथ्य छिपा हो जिसके पठन से पाठक को स्वतः ही उस विशेष तथ्य की अनुभूति (आह या वाह ) या दर्शन प्राप्त हो। ऐसी भी कृति की जा सकती है।
जैसे...
मेड़ किनारे
कर्क घोंघे की अस्थि --
दवा पोस्टर
*संचालक*
*हाइकु विश्वविद्यालय*
*नरेश कुमार जगत*
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