Thursday, September 12, 2019

आ० हीरा लाल जी ग़ज़ल

*ग़ज़ल*
212 212 212 212

चाँद  तारों  की  यूँ  कामना मत करो।
दायरा  ख़ुद  दुखों का बड़ा मत करो।

ज़िन्दगानी   की   राहें  हैं  काँटों  भरी
मूँद  कर  अपनी आँखें चला मत करो।

पाल  कर दिल में झूठा कोई भी गुमाँ
भूल  कर  भी  हवा में उड़ा मत करो।

सब पे रहती है हर पल ख़ुदा की नज़र
कोई  धोखा  किसी से किया मत करो।

मेरी   साँसें   हैं  चलतीं  तुम्हें  देखकर
दूर  नज़रों   से   मेरी   रहा मत   करो।

बिजलियाँ  दिल पे गिरती हैं मेरे सनम
तुम रक़ीबों से हँस कर मिला मत करो।

ज़िन्दगी  मौत   हाथों  में ईश्वर  के  है
आगे  इंसाँ  के *हीरा* झुका  मत  करो।

                    हीरालाल

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