Thursday, September 12, 2019

आ० आलोक कुमार मुकुंद जी दोहा ग़ज़ल

💐 *पहली दोहा गजल* 💐

बैरी की औकात क्या, बदल रहा है देश।
पीड़ा की सौगात क्या, बदल रहा है देश।।
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देश प्रेम में जो रहा, सरहद खड़ा जवान,
उसके रिश्ते नात क्या, बदल रहा है देश।
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नतमस्तक हैं जो हुए, लहू पड़ा है शांत,
देना उनको मात क्या, बदल रहा है देश।
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बसे मीरजाफर बहुत, भेदी है जयचन्द,
गद्दारों की जात क्या, बदल रहा है देश।
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लातों के आदी हुए, अब समझाना छोड़,
करना उनसे बात क्या, बदल रहा है देश।
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गद्दारी  की   खोल   के, बैठे  यहाँ दुकान,
गिनना उनके घात क्या, बदल रहा है देश।
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नजर साध कर तुम चलो, पाना है बस लक्ष्य,
बिगड़ें  फिर  हालात क्या, बदल रहा है देश।।
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                   *✒ आलोक मिश्र 'मुकुन्द'*

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