Tuesday, September 17, 2019

ग़ज़ल आ० हीरा लाल यादव जी

*ग़ज़ल*

212 212 212 212

मुस्कुराहट   लबों   पे   सजाया   करो।
ज़िन्दगी     ख़ूबसूरत    बनाया    करो।

कर्ज़  धरती   का  ऐसे  चुकाया  करो।
पेड़-पौधे    हमेशा     लगाया    करो।

दिन  जो  थोड़े  से  हैं ज़िन्दगी  के बचे
नफ़रतों   में   न   इनको  गँवाया  करो।

होगा हासिल न कुछ भी ग़मों के सिवा
कोई  रिश्ता  न  तुम आज़माया  करो।

जिसकी उम्मीद दुनिया से करते हो तुम
काम ख़ुद भी वो कर के दिखाया करो।

बरक़तें   माँ-पिता   के   हैं आशिष  में
शीश चरणों में  उनकी  झुकाया  करो।

आपको  रब  ने बख़्शा है जो भी हुनर
वो  हुनर   दूसरों  को  सिखाया   करो।

कामयाबी   मिलेगी    यकीनन    तुम्हें
कर्म  से  बस  न  जी  तुम चुराया करो।

चैन   *हीरा*  है  पाना  अगर  ज़ीस्त  में
पाप   से  अपना   दामन बचाया  करो।

                 हीरालाल

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