Tuesday, September 10, 2019

सुमति छंद ओम जी

*◆सुमति छंद◆*
विधान-नगण रगण नगण यगण
(111 212 111 122) 12 वर्ण
2, 2 चरण समतुकांत,4 चरण।

नमन   शारदे   उपकृत   कीजे।
विरल ज्ञान दे कृत - कृत कीजे।।
जय  सरस्वती जन - जन बोले।
हृदय 'ओम' का  सुन मन डोले।।

चरण   वंदना   अब  सुन लीजे।
विनय भक्त की सब  सुन लीजे।।
धवल कुंद - पुष्प  वरण  कीजे।
कमल  के   समान  चरण दीजे।।

अकथ वेद-पुराण  रच दिये माँ।
सकल  ज्ञान-सार हम लिये माँ।।
जगत है ऋणी-कण-कण बोले।
यह  रहस्य ये  क्षण-क्षण खोले।।
        *©मुकेश शर्मा "ओम"*

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