बेटियाँ धरोहर सी,प्यारी हरियाली हैं।
उपवन को सजोती जो,सुता सदा माली हैं।।
लोहा मांगे दुश्मन भी,रणभूमि मैदानो में।
हाथो में कंगन हैं,ना ही भाती लाली हैं।।
देश को बचाने का,जिम्मा सिर पर ले लेती।
कानो से सुने पीङा,काने में न ही वाली हैं।।
दिल ना दुखाया हैं,अपने पिता माता का।
हृदय भरी कोमलता,मन से भोली भाली हैं।।
गुरू ने कहा जो कुछ,करके वो दिखाया हैं।
गुरूवर की बाते कभी,जीवन में न टाली हैं।।
देशद्रोही दुश्मन के,छक्के भी छुङा बैठी।
शक्ति खींचे बैरी की,खींचे जैसे बाली हैं।।
मीरा बिषपान करे,भक्ति में जो रम जाती।
जहर का ही पान किये,ज्यो अमृत की प्याली हैं।।
बेटी रूप लक्ष्मी का,हृदय से सम्मान कंरू।
*भारत* नेक नगरी में,बचाओ अब ताली हैं।।
- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर ( मध्यप्रदेश )
सम्पर्क :- 8109643725
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