Monday, May 14, 2018

पतझङ




मौसम आया पतझङ वाला,
         सूखा दिखे बगीचा हैं।
धूप से मैने रोज बचाया,
        पानी से भी सीचा हैं।।
हरा भरा उपवन लगता था,
      अब न दिखता गांव में।
पेङ के नीचे बैठा करते,
      घनी घनी सी छाँव में।।
कितना प्यारा था वो उपवन,
     फूल सदा लहराते थे।
उसी बाग के बीच बैठकर,
    राग मनोहर गाते थे।।
तान लगाता राग यमन की,
   नि,रे,ग,रे,सा,प,म,ग,रे सा।
भारत उसको आज पुकारे।
    पतझङ वाला मौसम जा।।

- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
   छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
   सम्पर्क :- 8109643725

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