विधान~
[भगण तगण नगण+गुरु गुरु]
( 211 221 111 22
11वर्ण,,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत]
राम सिया हैं कण-कण देखो।
पूजन कीजे हर क्षण देखो।।
द्वार खड़ा हूँ चरण पखारूँ।
कष्ट पड़ा हूँ सतत पुकारूँ।।
- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर ( मध्यप्रदेश )
सम्पर्क :- 8109643725
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