जिन्दगी का हाल मेरा हाल ये बेहाल हैं।
वो पुराना साल अच्छा आपका क्या ख्याल हैं।।
वो सफर लगता सुहाना साथ में खेला बढ़ा।
पेज कापी के चुराकर रात दिन उसमे पढ़ा।।
दूर उससे हो गया हूँ कैसा ये जंजाल हैं।।
वो पुराना साल अच्छा आपका क्या ख्याल हैं।1।
धन की ना थी भूख हमको प्रेम का भूखा रहा।
उस समन्दर के किनारे बैठकर सूखा रहा।।
इश्क से खाली था हृदय धन से मालामाल हैं।
वो पुराना साल अच्छा आपका क्या ख्याल हैं।2।
आपकी नजरो को पढ़कर प्यार जो हमको मिला था।
जो पङी थी भूमि बंजर उसमे में एक पौधा खिला था।।
चलता भारत नेक पथ पर अपनी ऐसी चाल हैं।
वो पुराना साल अच्छा आपका क्या ख्याल हैं।3।
- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर ( मध्यप्रदेश )
सम्पर्क :- 8109643725
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