◆हारिणी छंद◆
विधान~
[जगण जगण जगण+लघु गुरु]
(121 121 121 12
11वर्ण,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत]
अनेक प्रकार विधान घने।
सुछंद भले मधुगान बने।।
कला-कविता मन साध सिखौ।
गुनौ पहिले सब बाद लिखौ।।
~शैलेन्द्र खरे"सोम"
आप सभी के लिए एक नये रूप में। साहित्यिक सांस्कृतिक सामाजिक जानकारी। प्रदेश अध्यक्ष नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत " विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत छतरपुर ( मध्यप्रदेश )
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