Thursday, November 8, 2018

लोकगीत भाईदूज





◆लोकगीत◆

द्वारौ टेकें खड़ी बहिनियां,
              कबलौ आहौ भैया जू
जल्दी टीका करवा जाऔ,
               बीती जात समैया जू.....

भाई दोज आज है भैया,
           तुम अबलौ  न  आये जू।
उठकै बड़े भोर सें मैंने,
            व्यंजन विविध बनाये जू।।
नहीं उतारी आस कि अबलौ,
              छन-छन होत करैया जू.....

बहुत दिनन से सोचें-सोचें,
              मयके  जा न पाई जू।
कैसे हाल हवाल उतै के,
            कछू खबर  न आई जू।।
जाने कैसे हुइहैं बाबुल,
                  कैसी प्यारी मैया जू.....

भैया मोय परायौ करके,
                कैसे कै बिसराओ जू।
आजहुँ वीरन तुम्हें बहिन को,
            काहे ख्याल न आओ जू।।
बिल्कुल"सोम" गहा दइ ऐसें,
                 जैसे सुरहिन गैया जू.....

                      ~शैलेन्द्र खरे"सोम"


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