◆ रसाल छंद ◆
विधान~
[भगण नगण जगण भगण जगण जगण+लघु]
(211 111 121 211 121 121 1)
19 वर्ण , 9 ,10 वर्णों पर यति ,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत।
हे प्रभु रघुपति राम, आप सबके दुख टारन।
हे जगपति सुखधाम, नाथ सब काज सँवारन।।
जापत सियहि समेत, दास पद पंकज चाकर।
गावत गुन गन नित्य,"सोम"निज शीश नवाकर।।
~शैलेन्द्र खरे"सोम"
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