Thursday, November 29, 2018

तारक छंद

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● तारक छंद ●
विधान~ जाति-अति जगती,
प्रस्तार भेद~८१९२
[सगण सगण सगण सगण गुरु]
११२  ११२    ११२ ११२  २
चार चरण,दो-दो चरण समतुकांत।

अब  बात  सुनो  मनमोहन  मोरी।
विनती करुँ नाथ खड़ा कर-जोरी।।
सबकी  बिगड़ी नित आप बनाते।
भव - सागर  से  प्रभु पार लगाते।।

- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
   छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )

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