Monday, November 12, 2018

शोकहर/ सुभंगी छंद

◆ शोकहर/सुभंगी छंद ◆

विधान~[8,8,8,6 मात्राओं पर यति,पहली दूसरी
            यति अंत तुकान्त,चार चरण समतुकांत,
            चरणान्त गुरु अनिवार्य]

नंददुलारे, सबके  प्यारे , हे   मनमोहन,  बनवारी।
जग प्रतिपाला, हे गोपाला, हे गोविंदा, गिरिधारी।।
घट घट वासी,हेअविनाशी,हे सुखरासी,शुभकारी।
धेनु चरैया, वेणु बजैया,"सोम"सदा मैं, बलिहारी।।

                                      ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

No comments:

Post a Comment

'कात्यायनी' काव्य संग्रह का हुआ विमोचन। - छतरपुर, मध्यप्रदेश

'कात्यायनी' काव्य संग्रह का हुआ विमोचन।  छतरपुर, मध्यप्रदेश, दिनांक 14-4-2024 को दिन रविवार  कान्हा रेस्टोरेंट में श्रीम...