युद्ध चित्रण
चित्र था विचित्र चित्र,चित्र जो बना सचित्र।
भूमि पे उकेरा चित्र,रचा खून धार से।।
भिन्न भिन्न भिन्नता थी,वीरों में प्रसन्नता थी।।
कलम हुये हैं सिर,तेज ललकार से।।
युद्ध में समर्पित होके जीत जाते जंग।
राजा ने निभाया मान,सत्य सदाचार से।।
वीरो ने जो वीरता दिखाई रण युद्ध बीच।
काट काट डाले सर,नंगी तलवार से।।1।।
नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर ( मध्यप्रदेश )
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