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*जय हिंद*
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*समीक्षा*
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बंदन कर के सरस्वती माँ,
भारत माँ को धरखें ध्यान |
करूँ समीक्षा सम्मेलन की,
करियो क्षमा मूढ़ पहचान ||
हिन्दी के उत्थान करन हित,
विश्व चेतना ट्रष्ट महान |
भव्य दिव्य आयोजन भारी,
राखी भारत माँ की शान ||
सोम शुभम झा जलज शची जी,
मंचासीन भये तब आय |
संचालन परमार संभारे,
दीन्हैं चारहु चाँद लगाय ||
मातृबंदना साथी जी की,
भुवन विष्ट के स्वागत गान |
सूत्रधार रसधार सरस जी,
रखें सब कवियन के मान ||
हो उत्फुल प्रफुल्ल पधारे,
बैद्यनाथ जी को धर ध्यान |
पंकज जी श्री हंस शास्त्री,
अपनी अपनी छेड़ी तान ||
जलज शची जी अनुभूति जी,
बहन सुशीला करें बखान |
मीरा जी राकेश पार्थ जी,
पं शर्मा से गुणवान |
बाल कवयित्री फुलारा जी,
झरना जी मधु के मधु गीत |
शुभम और भारत जी ने मिल,
राखी संमेलन की रीत ||
श्री विष्ट जी शिवम दीक्षित,
बहन मोनिका जी मुस्कान |
चंचल और शबाना जी ने,
डाली संम्मेलन में जान ||
वीर संग निश्चल जी आए,
भुवन विष्ट जी गाये गीत |
पुनः सोम जी ने भी आकर,
डाली संमेलन में नीत ||
निशा नसीमा और अवस्थी,
संग डोगर जी पांचाल |
पाठक श्री जयकांत पधारे,
बृजमोहन जी करें कमाल ||
चंदन सिंह चाँद जी ने
अपनी रचना रहे सुनाय |
ममता सिंह मीत जी आयीं,
मधुर मधुर स्वर रहीं सजाए
करें साधना कृष्ण साधना ,
और सरस जी रस बरसाँय|
आशा लिए आस जी आए,
देख देख अति मन हर्षाय ||
सफल कार्यक्रम हुआ आज का,
सभी सुधीजन आज 'विशेष'
भारत माता की जय बोलें,
जय जय बोलें भारत देश ||
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