. *गीत सुहाने*
विषय:- *चाँदनी*
तर्ज:- *किसी का घर द्वार छूटे....*
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
रुप मनोहर चाँदी जैसा,
सोने जैसे बाल।।
औंठ गुलावी झील सी आँखे,
गोरे गोरे गाल।।
*चाँदनी हो तुम मेरी...*
*चाँदनी हो तुम मेरी.....*
*(१)*
नाक नथुनिया सोहे,
बूँदा करे उजाला।।
कानन कुण्डल सोहे,
गले मोतिन की माला।।
लचकत,मटकत,इठलाती सी,
हिरनी जैसी चाल।।
*चाँदनी हो तुम मेरी....*
*चाँदनी हो तुम मेरी....*
*(२)*
बाजू बंध बाहों में,
कंगना जड़ी कलाई।।
कम्मर में करधौना,
पायल मधुर बजाई।।
संगमरमर से रुप के ऊपर,
तिल भी बड़े कमाल।।
*चाँदनी हो तुम मेरी...*
*चाँदनी हो तुम मेरी....*
*(३)*
गोटादार चुनरिया,
मोती जड़ी किनारी।।
जिस रस्ते से निकले,
खिल जायें फुलवारी।।
स्वप्न सुन्दरी *शिव* के दिल को,
कर गई मालामाल।।
*चाँदनी हो तुम मेरी....*
*चाँदनी हो तुम मेरी....*
-------------------------------------------
🌹 *शिव गोविन्द सिंह*🌹
No comments:
Post a Comment