*प्रकृति*
एक भारतीय युवा वर्ग का व्यक्ति दोस्तों आज में बहुत खुश हूँ। मालूम है मुझे नौकरी मिल गई है। न ही कोई रोक टोक न ही कोई परेशानी जब चाहे अपने अच्छे बुरे विचार को सबके सामने रख सकते है। कोई भी मुझे रोक नही सकता है। न ही किसी का दबाव है हमारे ऊपर। बहुत सारे क्या लगभग अस्सी फीसदी लोग इस नौकरी में लगे हुये है। सुबह से शाम तक या ये कहे की चौबीस घंटे काम कर सकते है। पूरा का पूरा युवा वर्ग इसी नौकरी के पूछे भाग रहा है। यदि ये कहा जाये कि युवा ही नही बल्कि सभी वर्ग के लोग इस नौकरी में लगे हुये है। आप लोग भी सोचे थोड़ा- बहुत कौनसी, कैसी किस प्रकार की नौकरी होगी। कोई डिमोंशन नही साथ ही आपका अनुभव बढ़ता जायेगा। ये दो प्रकार से होती है,पहला जिसमें अपने लोगो के साथ रहना पड़ता है तथा दूसरे में अपने परिवार वाले तथा बाहर अनजाने व्यक्तियों के साथ काम करते है।
दोस्तो हम क्यों भूल गये है। कि हमारा एक परिवार है रिश्तेदार है सभी लोग है। फिर सभी को प्राकृतिक जीवन का आनंद नही ले रहे है। केवल मानव निर्मित चीजों में यंत्रों में लगा हुआ है। जी हां आपने बिल्कुल सही सोचा जो आप बोलना चाहते है। जो आपको मालूम चल गया है नौकरी का नाम। वो जो आप कहना चाहते है। आधुनिक तकनीक से बनाये यंत्र तथा हार्डवेयर और सोफ्टवेयर की सहायता से दिन रात उसी का उपयोग,उपभोक्त कर रहे है। पहली नौकरी यह जो व्हाट्स ऐप पर आप दिन रात लगे रहते हो।दूसरी यही जिस पर यह पोस्ट आप पढ़ रहे है। जिसे लोग फेसबुक कहते है।
प्रकृति के साथ चलो बरना प्रकृति आपके साथ नही चलेगी।
नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर ( मध्यप्रदेश )
सम्पर्क सूत्र:- 8109643725
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