Tuesday, December 25, 2018

गीत :- कवि आ० सुरेन्द्र शर्मा सुमन जी






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*एक गीत आपके नाम*

यह मत पूंछो मेरे मन में कितने घाव हुए हैं।
कहाँ कहाँ से कब कैसे यारो बदलाव हुए हैं।।

जानूं परिवर्तन जीवन का,
सत्य सार होता है।
सबको स्थिरता से फिर भी,
बहुत प्यार होता है।।
जगह जगह पर अदल बदल,
इस तन के भाव हुए हैं।
कहाँ कहाँ से कब कैसे यारो बदलाव हुए हैं।।1।।



चाल अनूठी है दुनियां की,
अब तक समझ न आई।
कभी मिलन हो जाता है तो,
होती कभी जुदाई।।
कभी फसाया गया जाल में,
कभी बचाव हुए हैं।
कहाँ कहाँ से कब कैसे यारो बदलाव हुए हैं।।2।।


पड़े छोड़ना पिंजड़ा जब,
पिंजड़े से प्यार होता है।
पंछी जब निश्चिंत हुआ तब,
उस पै बार होता है।।
बढ़ा किसी से नेह *"सुमन"*,
तब ही बिलगाव हुए हैं।
कहाँ कहाँ से कब कैसे यारो बदलाव हुए हैं।।3।।

_गीतकार-सुरेन्द्र शर्मा *"सुमन"*_
   *छतरपुर मध्यप्रदेश*

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