★★★★★ग़ज़ल★★★★★
बह्र/अर्कान-122×4,फऊलुन×4
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खिली ज़िन्दगी ग़ुल खिले खूबसूरत।
सभी आशिक़ी में मिले खूबसूरत।
सुहाना जमाना दिवाना हुआ जब
चले इश्क के सिलसिले खूबसूरत।
दिलों में लगी आग वो जल उठी फिर
मिटी नफ़रतें औ ग़िले खूबसूरत।
हँथेली हिना से सजाई गई फिर
बयाँ आँख से लब सिले खूबसूरत।
मगर इश्क में जब नज़र लग गई तब
मिले जो खिले दिल हिले खूबसूरत।
ज़ुदा राह उनकी हुई"ध्रुव" सुनो तब
हुआ ग़म बहुत दिल छिले खूबसूरत।
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कवि शायर प्रदीप ध्रुवभोपाली
मो.0958939070
दिनाँक.20/12/2018
मगसम/5102/2017/भोपाल
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