Thursday, December 27, 2018

मिर्जा गालिब साहब






आज मिर्जा गालिब का जन्मदिन है।मिर्ज़ा ग़ालिब ऐसे शायर हैं जो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं।आज यानी २७ दिसंबर महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की 221वीं जयंती है। मिर्ज़ा ग़ालिब  का असली नाम मिर्ज़ा असद-उल्लाह बेग खान था।मिर्ज़ा ग़ालिब का जन्म उस दौर में हुआ, जब मुगल सत्ता कमजोर पड़ रही थी और मिर्ज़ा ग़ालिब का जीवन बहुत ही मुश्किल हालात में गुजरा।
बॉलीवुड  और टेलीविजन पर उनके ऊपर ज्यादा काम नहीं हुआ है। बॉलीवुड में सोहराब मोदी की फिल्म ‘मिर्ज़ा ग़ालिब (1954)' यादगार थी।टेलीविजन पर गुलजार  का टीवी सीरियल ‘मिर्ज़ा ग़ालिब (1988)' भी मील का पत्थर है। मिर्ज़ा हमारे साहित्य की शान हैं।उनकी शायरी का एक उदाहरण देखिए-
जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा
कुरेदते हो जो अब राख जुस्तुजू क्या है
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है
वो चीज़ जिस के लिए हम को हो बहिश्त अज़ीज़
सिवाए बादा-ए-गुलफ़ाम-ए-मुश्क-बू क्या है
पियूँ शराब अगर ख़ुम भी देख लूँ दो-चार
ये शीशा ओ क़दह ओ कूज़ा ओ सुबू क्या है
रही न ताक़त-ए-गुफ़्तार और अगर हो भी
तो किस उमीद पे कहिए कि आरज़ू क्या है
हुआ है शाह का मुसाहिब फिरे है इतराता
वर्ना शहर में 'ग़ालिब' की आबरू क्या है ....

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