ध्यान रूप मन तीर्थ जल , ज्ञान रूप तालाब ।
इसमें नित्य नहाइये , छोड़ माल असवाब ।।
छोड़ माल असवाब , मैल मन का धो डालो ।
राग-द्वेष मल मैल , रगड़कर साफ करालो ।।
कह"अनंग"करजोरि , बरसते तभी ज्ञान घन ।
जब भी थिर हो जाय,आपका ध्यान रूप मन।।
अनंग पाल सिंह भदौरिया"अनंग"
आप सभी के लिए एक नये रूप में। साहित्यिक सांस्कृतिक सामाजिक जानकारी। प्रदेश अध्यक्ष नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत " विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत छतरपुर ( मध्यप्रदेश )
Sunday, May 19, 2019
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