Sunday, May 19, 2019

अनंग पाल सिंह भदौरिया "अनंग" जी -4

ध्यान रूप मन तीर्थ जल , ज्ञान  रूप तालाब ।
इसमें  नित्य  नहाइये , छोड़  माल  असवाब ।।
छोड़ माल असवाब , मैल  मन का धो  डालो ।
राग-द्वेष मल मैल , रगड़कर  साफ  करालो ।।
कह"अनंग"करजोरि , बरसते  तभी ज्ञान घन ।
जब भी थिर हो जाय,आपका ध्यान रूप मन।।
                अनंग पाल सिंह भदौरिया"अनंग"

No comments:

Post a Comment

प्रेमचंद रेडियो पर काव्यपाठ

मुंशी प्रेमचंद मार्गदर्शन केंद्र ट्रस्ट लमही वाराणसी उ.प्र. द्वारा संचालित रेडियों प्रेमचंद एप जिसके स्र...