चौपाई छंद
रजत जयंती है शुभ आई।
मुझको आज मिली परछाई।।
प्रेरक हर पग है नित वामा।
अनमोल कथन दें बिन दामा।।
मीठी वाणी जब - जब बोले।
ओम-हृदय अरु तन मन डोले।।
चितवन कोमल है अति शीतल।
चलती जैसे मृग या चीतल।।
महक उठा चंदन - सा जीवन।
चहक गया प्रतिपल यह यौवन।।
आधा था अब पूर्ण किया है।
पूर्ण किया सम्पूर्ण किया है।।
*©मुकेश शर्मा "ओम"*
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