*◆शुभमाल छंद◆*
शिल्प:- जगण जगण (121 121),
दो-दो चरण तुकांत,
[6 वर्ण प्रति चरण]
जपो हरि नाम।
सदा सुख धाम।।
मिले सुख चैन।
कटे तम रैन।।
सिया भरतार।
करें भव पार।।
यही जग सार।
न "सोम"विचार।।
~शैलेन्द्र खरे"सोम"
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