Wednesday, May 15, 2019

विमोहा छंद "सोम" जी

*◆विमोहा छंद◆*

शिल्प:- [रगण रगण(212 212),
दो-दो चरण तुकांत, 6 वर्ण]

जो हुआ हो गया।
दौर   आगे  नया।।
भूल  से  सीखना।
हारना   है   मना।।

हार  है  जीत  है।
राग  है  गीत  है।।
बैर   है  प्रीत  है।
राह  की रीत  है।।

आप  ये  जानिये।
काज जो ठानिये।।
कल्पनायें    गढ़ो।
"सोम"आगे बढ़ो।।
          ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

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