आज का विषय -
🌹रंगोत्सव काव्य सम्मेलन ( दिनांक १९ मार्च २०१९) के संस्मरण 🌹
होली के पावन अवसर पर होने वाले अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन में भाग लेना व उसका आनंद लेना एक सुमधुर व अद्भुत अहसास था! विश्व जन चेतना ट्रस्ट, भारत ने हमें यह अमूल्य अवसर दिया जिसके हम ऋणी रहेंगे।
मेरे लिए तो यह सम्मेलन और भी गौरान्वित करने वाला था क्योंकि संस्था के पदाधिकारियों द्वारा मुझे इस कार्यक्रम के अध्यक्ष पद पर आसीन कर दिया था उसके लिए भी मैं संस्था की आभारी हूँ।
कार्यक्रम नियत समय अर्थात १९ मार्च २०१९ को छः बजे माँ शारदे की प्रतिमा स्थापित करने से आरंभ हुआ। माँ शारदे को नमन करते हुए उन्हें माल्यार्पण के तत्काल बाद उन्नाव (उत्तर प्रदेश) से आदरणीया मधु गौड़ के मधुर स्वरों से सरस्वती वंदना सम्पन्न हुई तत्पश्चात रानीखेत उत्तराखंड से आदरणीय भुवन बिष्ट जी के द्वारा बहुत अनुपम स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। कवि सम्मेलन को वास्तविक रूप से आरंभ करने के लिए मेरे द्वारा अध्यक्षीय भाषण में ही अनुमति प्रदान की गयी। उसके उपरांत काव्य धाराएं निर्विरोध, अविरल व विभिन्न रसों को लेकर बहने लगीं। किसी ने होली के त्योहार पर गीत गाये तो किसी ने देश भक्ति पर कविता पढ़ी।
देश के विभिन्न स्थानों से ३८ कविगणों ने काव्य पाठ कर चित्रशाला पटल को रसों से व आनंद से सराबोर कर दिया था!
यदि मैं कहूँ कि उस दिन का संचालन एक दिव्य, मनोहर व अद्वितीय था तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। प्रिय अनुज नीतेन्द्र परमार जी व प्रिय बेटे नमन जैन जी ने बहुत ही अनूठा संचालन किया! बाद में कार्यक्रम के अंत में दोनों को अनुज हरीश बिष्ट जी द्वारा ५०१ - ५०१ रुपये प्रदान कर पुरस्कृत भी किया गया था।
कार्यक्रम के संरक्षक आदरणीय शैलेंद्र खरे 'सोम' जी, मुख्य अतिथि आदरणीय शीतल प्रसाद वोपचे जी, कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि आदरणीया ममता राठौर 'मीत' एवं आदरणीय हरीश बिष्ट जी का कार्यक्रम के आरंभ में ही स्वागत किया गया।
कार्यक्रम के समीक्षक आदरणीय राहुल शुक्ल ' साहिल' जी व आदरणीय कौशल कुमार पांडेय 'आस' जी थे। संस्था के संस्थापक आदरणीय दीपक कुमार पाठक 'सरस' जी पूरे कार्यक्रम की तैयारी में व सम्पन्न होने तक सबके साथ रहे। कार्यक्रम सुचारू रूप से चला इसमें इनका बहुत बड़ा योगदान है।
यह कार्यक्रम सदैव हमारे स्मृति पटल में सुरक्षित रहेगा। वास्तव में जैसे गूंगा गुड़ के स्वाद का वर्णन पूरी तरह से नहीं कर पाता वह केवल अहसास कर पाता है वैसे ही हमारे इस आनंद की अनुभूति को मेरे द्वारा अक्षरसः व्यक्त कर पाना कठिन है!
सुशीला धस्माना 'मुस्कान'।
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