Thursday, March 28, 2019

आ० हीरालाल यादव जी

*ग़ज़ल*
2122 1212 22

आज कल खो रहा मेरा दिल है।
आपका हो  रहा मेरा  दिल है।

चैन  से  ओ  सुकून  से  अपने
हाथ ख़ुद धो रहा मेरा दिल है।

अपने हाथों से  अपनी राहों में
काँटे खुद बो रहा मेरा दिल है।

क्या है दुनिया, है  भूल  बैठा ये
रात-दिन सो रहा मेरा दिल है।

याद आई है आज फिर उसकी
आज फिर रो रहा मेरा दिल है।

अपनी नाकामियों का ग़म *हीरा*
कांधों  पे ढो  रहा मेरा दिल है।
                   हीरालाल

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