Monday, March 11, 2019

आ० हीरालाल यादव जी

*ग़ज़ल*
2122 2122 2122 212

इश्क में सँग-सँग किसी के जीने,मर जाने की बात।
छोड़िए  साहब  ये  है  बस दिल को बहलाने की बात।

हैं अभी तो हम मिले कुछ देर तो सँग बैठिये
क्यों अभी से कर रहे हैं छोड़ कर जाने की बात।

बस दिलासे दे रहे हैं आप हमको हर घड़ी
कीजिए  दिल  से  कभी  तो  आप  अपनाने  की बात।

इश्क की गलियों का फेरा यूँ लगा कर रातदिन
कर  रहा  क्यों  दिल  तू हर पल ठोकरें खाने की बात।

कुछ नहीं पाओगे *हीरा* पाप की राहों पे चल
ज़िन्दगी  भर  होगी  बस  ये  सिर्फ़  पछताने  की बात।

                       हीरालाल

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