*पढ़ा लिखा से तात्पर्य~*
डिग्री और स्कूली शिक्षा को पढ़ा लिखा समझा जा सकता है, या फिर ज्यादा धन वाले को पढ़ा लिखा कहा जा सकता है !!
इंसान का दिमाग ही खोजी और खुरपेची होता है, जो मौजूद है उस पर विश्वास नही करता, जो मिल नही सकता उसे पाना चाहता है, और जो मिल गया; वो हमेशा कम ही लगता है,
बातों पर गौर जरुर फरमाएँ !!!
जो मिल नही सकता उसको पाना चाहता है, जो बिगड़ सकता है उसे समझ नही पाता, जो समझता है वो गलत होता है|
अब किसको पढ़ा लिखा कहूँ, किसको कढ़ा कहूँ, किसको समझदार कहूँ, और किसको विज्ञ और किसको अनभिज्ञ ????
बेहतर की तमन्ना तो अच्छी चीज है,
पर बदतर की गुंजाइस भी समझ आ जाए तो, उसे हमारी नज़र में पढ़ा लिखा कह सकते हैं|
जय जय
जय हिन्द जय भारत
डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
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