Wednesday, March 13, 2019

बाइडिंग :- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "

*पैसे दे तो पत्नी नाराज़ नही दे तो पति नाराज़*

चलो आज लिए चलते हैं। अपने साथ आपके छतरपुर के महल रोड से आगे जिसको बजरिया कहते हैं। चारो तरफ चहल-पहल,गाड़ियों का शोर तथा दुकानों में आते-जाते सभी खरीदारी करने वाले आदमी,औरत,बूढ़े आदमी तथा बच्चे आदि। दरअसल बात ये है कि मुझे अपनी एक पुरानी डिक्शनरी जो की बहुत बड़ी होने के कारण तथा पुरानी होने के कारण उसके पेज अलग-अलग होने लगे थे। तो बाइडिंग कराने के लिए दुकान की तलाश कर रहा था। तभी हमने एक स्टेशनरी वाले से पूछा तो उन्होंने बताया कि थोड़ी दूर आप जायेगे तो हमारी दुकान से आगे आप चार-पाँच दुकान छोड़कर वही पहुंच जाओगे जहां  पर बाइडिंग की दुकान है। साहब हम देखते पूछते हुआ। दुकान पर पहुंच गये। दुकान पर बैठे दुकानदार एवं उनकी पत्नी जी को नमस्ते किया। अपने बैग से हमने डिक्शनरी को निकाल कर दिखाये तो बोलो कोई बात नही हम पेज क्रम से लगाकर बाइडिंग कर देगे। हमने दुकानदार से पैसा पूछा तो फिर से अनेक प्रकार की बाइडिंग दिखाने लगे। सादा वाली अस्सी रूपये गत्ते वाली एक सौ बीस रूपये, और कपड़े वाली एक सौ अस्सी रूपये। हमने कहा की आप इसमें एक सौ बीस रुपये वाली कर दीजिए। तो जैसे ही कहा तो दुकानदार जी ने कहा अपना मोबाइल नंबर बताये और नाम बताये। हमने दोनो चीज डिक्शनरी में अंकित करवा दी। इसके बाद बोले तो पैसा अभी जमा कर दीजिए। बाकी जब लेने आओगे तब ले जाना। जैसे ही दुकानदार ने पैसा का नाम लिया तो पीछे बैठी उनकी पत्नी ने मुझे इशारा करते हुये कहा ? आप पैसे मत देना! में वहा पर बहुत असमंजस में फस गया क्या किया जाये। बात तो मुझे पहले ही समझ में आ गई थी जब उनसे हमने नमस्ते की थी उनके मुंह से शराब की गंध आ रही थी। लेकिन वहा से भाग नही सकता था। क्योंकि मुझे बाइडिंग करवानी थी। उनकी पत्नी का इशारा समझ गया। कि एक छोटी सी दुकानदार है। साथ में उनके तीन बच्चे भी वही खेलते दिख रहे थे। तो पत्नी सोच रही थी कही यह पैसे पति देव के हाथ में पहुंचे तो फिर घर का खर्च बच्चों की पढ़ाई के लिए तथा जीवन यापन के लिए कहा से पैसे आयेगे। ऐसे ही पूरे पैसे शराब में उड़ाते जायेगे। यह सब नज़ारा देखकर सुनकर समझकर मेरा मन बहुत कुण्ठित हुआ। लेकिन कर भी क्या सकता था  *पैसे नही देता तो दुकानदार नाराज़ दे देता तो पत्नी नाराज़*। हे ईश्वर मुझे किस संकट में डाल दिया है। दुकानदार बोले आप अभी पचास रूपये जमा कर दीजिए लेकिन उनकी मुंह  से शराब की गंध आ  रही थी। तो हमने पत्नी को ओर देखा और मुझे अनेक बहाने बनाने के बाद तीस रूपये देने ही पड़े।
      कैसे सुधार होगा कि नशा करना बंद हो जाये।

रचनाकार:-
नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
सम्पर्क सूत्र:- 8109643725

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