Friday, March 29, 2019

आ० शिव गोविंद सिंह गीत

.             *गीत सुहाने*
तर्ज:-किसी का घर द्वार न छूटे
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चंचल ,चतुर ,चपल कहते है,
                  आते जाते लोग।।
पर हम तेरी राह निहारे,
                   ये कैसा संयोग।।

सनम हम तुम्हे पुकारे ।
          तुम्हारी राह निहारे।।
               *(१)*
रुत आई है बसन्ती,
    पर अब तक तुम न आये।।
कोयल गीत सुनाती,
                  आम रहे बौराये।।
मंद पवन की महके खुशबु,
      पर हमको लगा वियोग..

सनम हम तुम्हे पुकारें,
            तुम्हारी राह निहारे।।
                 *(२)*
चिड़िये चहक रही है,
          फर फर पंख फैलाये।।
कल कल बहती नदियां,
             प्रकृति प्रेम दरषाये।।
दर दर माथा टेक रहे है,
           प्रभु को लगाये भोग...

सनम हम तुम्हे पुकारे,
          तुम्हारी राह निहारे ।।
                 *(३)*
पूछ रही है सखियाँ ,
                पूछ रहे घरबाले।।
कैसे उन्हे बताये,
   हम पी गये प्यार के प्याले।।
मन जोगन की को पहचाने,
             लगा प्रेम को रोग....

सनम हम तुम्हे पुकारे,
           तुम्हारी राह निहारे ।।
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  🌹 *शिव गोविन्द सिंह*🌹

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