Sunday, March 24, 2019

आ० हीरालाल यादव जी

*ग़ज़ल*
1222 1222 122

जिगर  में  हौसला  रख्खा करो तुम।
न  यूँ  हर  बात  पर  रोया करो  तुम।

जुबाँ  से  बात हर कहना है मुश्किल
कहें  आँखें  जो वो समझा करो तुम।

न  दिल  माने  जिसे वो काम कर के
न  अपने  आप  से  धोखा करो तुम।

करो  परवाह   ख़ुद  की ठीक है, पर
कभी दुनिया की भी सोचा करो तुम।

मिला पाओगे क्या तुम ख़ुद से नज़रें
न   यूँ   ईमान   का  सौदा करो तुम।

करो  जो  भी  हुआ  स्वीकार  *हीरा*
हकीकत से न मुँह मोड़ा करो तुम।

                   हीरालाल

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